"चुड़ैल से हुआ सामना" – A terrifying encounter that sent shivers down my spine. Today, I am here to share my spine-chilling experience of coming face-to-face with a ghostly entity. Hold on tight as I take you through a journey of fear and terror, where reality meets the supernatural. Are you ready to venture into the realm of the unknown? Let's dive in!
मेरा नाम प्रतिक मिश्रा है। मैं वेस्टबैंगोल के एक गाँव में रहता हूं। मैं अभी इंजीनियरिंग का अभ्यास कर रहा हु और साथ में मैं एक सोलो बाइक राइडर भी हु।
मैं अक्शर छुटियों के दिन या फिर वीकएंड पे अपने बाइक ले कर लॉन्ग राइड पे चला जाता हूं।
एक दिन मेरे साथ कुछ ऐसी घटना घटी जिसे आज भी सोचता हूं तो मेरे शरीर की रूह तक कांपने लगती है।
आज से दो साल पहले की बात है। मैं अपने बाइक लेकर कोलकत्ता लॉन्ग राइड पे गया था। रास्ता 3 दिन का था। इस लिए मुजे पहले से ही होटल बुक करनी पड़ती थी।
एक बार रास्ते मे मुजे बहुत भूख लगी थी। इस लिए मैंने अपनी बाइक को साइड में पार्क किया। और पास में नास्ते की दुकान पे जाके 2 वड़ापाव खा लिया। बाद में मैंने अपनी ट्रेवलिंग की शुरुआत कर दी।
कुछ समय बाद, श्याम को,
अचानक मेरे पेट बिगड़ ने लगा। मैं होटल पे जा शकु इतना समय भी नही था। इसलिए मैंने पास में सुलभ शौचालय पे एंड यूज़ का उपयोग किया।
वही पे मुजे किसीके पायल की आवाज सुनाई दी। मुजे कुछ अजीब सा लगा कि, पुरुष के शौचालय में एक औरत का क्या काम?
इसी समय वहाँ की लाइट चालू बंध होने लगी। मैं तो को डर के मारे कांपने लगा। मेरे शरीर के रुवटे खड़े हो गए।
मैंने जोर से आवाज लगाई, “कौन है जो यह मजाक कर रहा है, बाहर निकल के तुजे छोडूंगा नही।”
थोड़ी देर बाद वहां सब ठीक गया। मैं जल्दी से बाहर निकल ने की कोशिश कर रहा था लेकिन वॉशरूम का दरवाजा नही खुल पा रहा था। मैंने चोकीदार को आवाज लगाई। तो उसने आके देखा तो दरवाजा बाहर से खुला था। फिर उसने आवाज लगाई, “दरवाजा खुला है, आप थोड़ा धक्का लगा ए।”
मैंने धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। मैं पैसा दे कर बाहर निकल ही रहा था कि फिर से मेरा पेट खराब होने लगा।
मुजे वापस उस खतरनाख वॉशरूम में नही जाना था। लेकिन मेरे पास और कोई चारा भी तो नही था।
इस बार लगभग दो-तीन मिनिट हुई होगी कि वापस से लाइट चालू बंद होने लगी। और साथ में कोई स्त्री की हँसने ने की आवाज भी आ रही थी।
मुजे काफी डर लगने लगा था। मैं जल्द ही अपना काम पताके बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मैं वही से उठ ही नही पा रहा था।
मुजे ऐसा लग रहा था कि, कोई मुजे पर बैठ गया हो। मैं अपनी पूरी ताकत लगाके खड़ा हो गया। ओर दरवाजा खोल के बाहर निकल गया।
बाहर देख कर मैंने देखा कि, सुलभ शौचालय का मुख्य दरवाजा बंद था और उस पर काफी सारे जीवजन्तु चिपके हुए थे।
यह सारा ख़ौफ़नख दृश्य देख कर मेरे तो प्राण ही निकल गए हो ऐसा महसूस होने लगा। मैं जोर जोर से रो ने लगा। वहाँ पे काफ़ी अंधेरा था और काफी दुर्गन्ध भी आ रही थी।
मुजे लगा कि मैं यँहा से कैसे बाहर निकल पाऊंगा?
उसी वक़्त मेरे सामने एक बड़ी बड़ी लाल आँखे वाली, लंबे बालोंवाली भयानक औरत खड़ी थी।
उसे देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए। मैं तुरंत ही दरवाजे की ओर दौड़ा। लेकिन घभराहट की वजह से मेरे पैर फिसल गए और मैं नीचे फर्श पे गिर गया।
पायल का आवाज कर रही वो भयानक औरत मेरी तरफ आ रही थी। उसे देख कर लगा कि आज मेरी जिंदगी का आखरी दिन है, अब मैं बचने वाला नही हु।
थोड़ी ही देर में वो औरत मेरे पास आकर बैठ गई और मुजे जानवर की जैसे सुंघने लगी।
मुजे अपनी मौत साफ साफ दिख रही थी।
फिर मैंने अपनी सारी हिम्मत लगा के एक आखरी कोशिश कर के जोर लगाके खड़ा हो गया।
ओर जोर जोर से दरवाजे को हिलाने लगा। थोड़ी ही देर में दरवाजा टूट गया और मैं बाहर निकल गया।
जब मेरी नजर बाहर खड़े लोगो के सामने पड़ी तो मैंने देखा कि लोग मेरे सामने ऐसे देख रहे थे, जैसे मैं कोई पागलखाने से भाग आया हु।
लोग मुजे यहाँ तक बोलने लगे कि, “पागल है क्या? पीके आया है?
तभी वहाँ पास में खड़ा आदमी ने मेरे पास आके पूछा कि, “भाई, तुम वहाँ अंदर क्या कर रहे थे?”
मैंने कहाँ, “भाई, मैं कोई अंदर घूमने नही गया था, बल्कि टॉयलेट करने के लिए गया था।”
मेरी बात सुनकर उस भाई ने मुझसे कहाँ, “तुम जरा पीछे मुड़कर तो देखो”
मैंने जब उस आदमी की बात सुनकर पीछे मुड़कर देखा तो मेरे तो होस ही उड़ गए। वहीँ कोईभी शौचालय नहीं था। बल्कि एक पुराना टूटा फूटा खंडाल मकान था।
ऊपरवाले की महेरबानी थी कि मैं सही सलामत बच गयो। ओर उस भयानक देखने वाली चुड़ैल की चंगुल से बच निकला।
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