यह कहानी उन चार दोस्तो की है जिसके साथ कुछ ऐसी घटना घटी की जिसे उनका पूरा जीवन ही बदल गया। आइये जानते है कि ऐसा क्या हुआ था।
मुंबई शहर की रहने वाली प्रिया शर्मा अपने दोस्तों के साथ रवि, साहिल ओर विजय के साथ शिमला जाने का प्लान बनाया।
वो सब शिमला जाने के लिए बस में बैठ गए। कुछ ही देर में प्रिया सो गई।
अचानक प्रिया की नींद खुल गई तो उसने देखा की, बस में कोई नही था। बस का ड्राइवर भी नही था। बस अपने आप ही चल रही थी। उनके सारे दोस्तों भी बस में नही थे।
यह सब देखकर डर के मारे प्रिया जोर जोर से चिल्लाने लगी। अचानक उसे लगा कि कोई उसके पीछे खड़ा है। जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो वहाँ एक स्त्री बैठी हुई थी।
उस स्त्री का चहेरा जला हुआ था, ऐसा लग रहा था कि किसने उसके चेहरे पर एसिड फैंका हो। ऐसा भयंकर चहेरा देखकर प्रिया ने चिल्लाना शुरू कर दिया।
बचाओ…..बचाओ…..बचाओ…..
ओर अचानक प्रिया की नींद उड़ गई। वो एकदम डरी हुई और पसीने से पूरी भीग गई थी।
पास में बैठे हुए विजय ने पानी की बोटल दी और बोला, “शायद तुम्हें कोई सपना देखा होगा”।
थोड़ी ही देर में सब शिमला पहोंच गए और एक होटल पर रात बिताने के लिए गए।
दूसरे दिन वो सब साथ में मिलकर होटल के पास वाले पहाड़ पे घूमने जाने का नक्की किया।
करीबन आधे घंटे में वो सब पहाड़ की सबसे ऊंची शिखर पर पहोच गए। वहीं से नीचे देखने पर घने लीलेछम पेड़ पौधे काफी सुंदर दिख रहे थे।
अचानक साहिल चौक गया और बोला, “नीचे देखो कोई खड़ा है, लगता है कोई स्त्री है।”
विजय और रवि भी देखने लगे लेकिन उन्हें कोई दिख नहीं रहा था।
और बोले तू पागल हो गया है क्या इस घने जंगल में कोई स्त्री कैसे आ सकती है?
तुम्हें शायद कोई भ्रम हुआ होगा उसके बाद वह सब खुली जगह पर चले गए।
रात होने वाली थी इसलिए वह सब ने पहाड़ पर ही रुकने का निर्णय किया।
इसलिए उन सब ने वहां पर ही तंबू लगाया और खाने पीने के लिए सामान बाहर निकाला।
प्रिया की बैग तंबू के बाहर थी इसलिए वह लेने के लिए बाहर गई तो वहां पर उसे किसी की आवाज सुनाई दी।
प्रिया उस आवाज की और अपनी नजर घूम आती है तो उन्हें सामने से कोई तीन आदमी आते हुए दिख रहे थे।
उनके हाथ में धारदार हथियार देखकर प्रिया डर जाती है और दौड़ के तंबू के अंदर आ जाती है।
उसने अपने दोस्तों से भी यह बात की लेकिन कोई उसकी बातों पर विश्वास नहीं कर रहे थे।
प्रिया चिल्लाकर बोली, “आप सब पागल हो गए हो क्या? कोई भी मेरी बातों पर भरोसा नही कर रहा है, चलिए मेरे साथ बाहर, मैं आपको बताती हु”।
वो सभी बाहर आके शिखरकी टोच से नीचे देखने लगते है। उतने में ही उन सभी को लगता है कि कोई तीन लोग उनकी ओर बढ़ रहे है।
यह सब देख कर वो सभी डर जाते है और तुरंत ही अपना अपना सामान समेट ने लगते है। ओर बड़े से पथ्थर के पीछे जाके छुप जाते है।
थोड़ी ही देर में वो सब ऊपर आ जाते है। प्रिया देख रही है कि उनके हाथ, पैर और शिर आम आदमी जैसे बिल्कुल नही थे।
वो सब एक जगह पे बैठ जाते है और कुछ तांत्रिक विद्या शुरू करते है। उन में से एक आदमी अपनी हाथो की उंगली को काट देता है।
लेकिन अंधेरे की वजह से उन्हें कुछ भी ठीक से दिखाई नही देता है।
अचानक उन चारों ने देखा कि एक औरत उन आदमीओ के बीच में आके लेट जाती है। कोई नही जानता कि आखिर वो औरत वहाँ पे पहोंची कैसे?
प्रिया ने कहा, “मुजे कुछ समझ नही आ रहा है आखिर यह सब हो क्या रहा है? मुजे बहोत ही डर लग रहा है।”
एक के बाद एक वो तीनो उस औरत को सूंघने लगे। वहीं पे अचानक उस औरत ने अपनी उंगली उठाई और हमारी तरफ इशारा करने लगी।
हम सब डर गई। वो तीनो उस औरत को छोड़ कर हमारी ओर बढ़ने लगे।
हम सब पहाड़ी से नीचे होटल की ओर दौड़ ने लगे। हमारी आवाज सुनकर वो तीनो हमारी ओर दौड़ने लगे।
प्रिया ओर साहिल सबसे आगे थे और विजय ओर रवि उनके पीछे दौड़ रहे थे।
प्रिया ओर साहिल होटल तक पहोंच गए लेकिन रवि ओर विजय का कोई पता नही चल रहा था।
हमने होटल वालो से उनके बारे में सभी बातें के तो उन लोगोंने कहाँ की, “उस पहाड़ पे कोई नही जाता है, वो पहाड़ शार्पित है, जो भी वहाँ जाता है वो कभी वापिस नही आता है, आप की किस्मत अच्छी थी कि आप अभी जिंदा है।”
लेकिन हमारे दोस्त रवि ओर विजय कभी भी वापिस लौट के नही आये। हमने उन्हें ढूढ़ने का बहोत ही कोशिश की, पुलिस कम्पलेंन भी करवाई लेकिन कोई फरक नही पड़ा।
दोस्तो, अगर आपको मेरी यह कहानी (शिमला के शार्पित पहाड़) दोस्तो, अगर आपको मेरी यह कहानी हो तो शेयर जरुरु करना।
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